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नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति 2025? जानिए बीजेपी विधायक की मांग और सियासी संकेत

नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति 2025: क्या बिहार की राजनीति कहेंगी विदा?

देश की राजनीति में हलचल:
नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति 2025 को लेकर गर्मा-गर्म बहस चल रही है। NDA की सरकार और बिहार दोनों ही ऐसे मोड़ पर हैं, जहां एक फैसले से न सिर्फ राज्य बल्कि केंद्र की सत्ता संतुलन बदल सकता है।

वर्तमान घटनाक्रम – उपराष्ट्रपति पद पर क्यों चर्चा?

राष्ट्रपति द्वारा जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद नए नामों की अटकलें तेज़ हैं। सोशल मीडिया और सियासी गलियारे में—कोई जेपी नड्डा की चर्चा कर रहा, कोई नीतीश कुमार को “NDA की तुरुप का इक्का” बता रहा है।
बीजेपी विधायक हरिभूषण बछौल के बयान से ये हवा और तेज हो गई, जिसमें नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाने की खुली वकालत की गई।

बीजेपी की पॉलिटिक्स या मजबूरी?

  • 2024 लोकसभा चुनाव में बहुमत पाने के लिए NDA ने जेडीयू व टीडीपी जैसे साथियों की लाइफलाइन ली।
  • बिहार में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और बीजेपी हर हाल में अपना सीएम लाना चाहती है।
  • नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाओ, गठबंधन मजबूत करो और बिहार कि सत्ता सीधे हाथ में लो—यही फॉर्मूला जो सुर्खियों में है।

एक भाजपा नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, “नीतीश जी के बिना बिहार चुनाव win करना मुश्किल है, लेकिन बार-बार साइड बदलना भी झंझट है। अगर वे VP बनें तो सबको ‘सम्मान’ भी मिला और रास्ता भी साफ।

क्या नीतीश वास्तव में छोड़ेंगे बिहार?

20 साल से बिहार को नया रास्ता देने वाले नीतीश कुमार के लिए “उपराष्ट्रपति” पद एक तरह से सक्रिय राजनीति की विदाई है। लेकिन क्या वे राजनैतिक जीवन को इस तरह विराम देना चाहेंगे?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश को ‘पावर’ और ‘कंट्रोल’ ज्यादा पसंद है – उपराष्ट्रपति पद उन्हें सम्मान तो देगा, मगर असली जमीन की राजनीति उनसे छिन जाएगी।

एक पूर्व साथी मंत्री का कहना:नीतीश जी का असली जुनून बिहार है, लेकिन अगर दिल्ली जाना पड़े तो वे मजबूरी में ही चुनेंगे।

विपक्ष और जनता की आवाज़

  • कांग्रेस के सांसद सुखदेव भगत ने आरोप लगाया—धनखड़ का इस्तीफा पार्टी में मतभेद का संकेत है।
  • राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं—”राज्यसभा डिप्टी स्पीकर हरिवंश का भी नाम चल रहा, क्योंकि उनका चयन जेडीयू को और NDA को संतुलित करेगा।”
  • सोशल मीडिया यूज़र पूछ रहे—क्या बिहार के आम लोगों के लिए ये वाकई खुशी की खबर होगी, या ‘नेताओं का एडजस्टमेंट गेम’?

राजनीतिक विश्लेषण: दिशा किस ओर?

मुद्दास्थिति
धनखड़ का इस्तीफासेहत का हवाला; पर सियासी बयानबाजी तेज
नीतीश कुमार का नामबीजेपी खेमे में सबसे प्रबल चर्चा
बीजेपी-एनडीए की रणनीतिगठबंधन समेटना और सत्ता संतुलन पक्का करना
नीतीश की स्थितिअब तक कोई साफ ‘हां’ या ‘ना’ नहीं, सोच-विचार में

नीतीश उपराष्ट्रपति बनें तो, बिहार की राजनीति पर असर?

  • बीजेपी के पास सीएम पद का रास्ता साफ—कई नए नेता दावे में; जेडीयू को “सम्मान” भले मिले, लेकिन पकड़ कम होगी।
  • राजनीतिक उठा-पटक बढ़ेगी—NDA के अंदर नए समीकरण, विपक्ष को हमला करने का नया मौका।
  • जनता की उम्मीदें—“क्या अब बिहार सही दिशा में जाएगा, या फिर दिल्ली का आदेश ही चलेगा?”

FAQs

क्या नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बन सकते हैं?

बीजेपी विधायकों की मांग और सियासी माहौल को देखें तो संभावना है, लेकिन अंतिम फैसला खुद नीतीश और पार्टी के रुख पर निर्भर करता है।

बिहार में इसका असर क्या होगा?

नीतीश के जाने से जेडीयू कमजोर होगी, बीजेपी को सीधा नेतृत्व, और विपक्ष को “लोकल vs दिल्ली” की राजनीति का मुद्दा मिलेगा।

क्या उपराष्ट्रपति बनने के बाद नीतीश सक्रिय राजनीति में सक्रिय रहेंगे?

संवैधानिक पद है—नीतीश को चुनावी राजनीति से व्यावहारिक रूप से दूरी बनानी पड़ेगी; फैसले, नीतियां और बयान सीमित हो जाएंगे।


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नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति 2025 चर्चा

निष्कर्ष

अटकलों का बाजार गर्म है, लेकिन अंतिम सच्चाई वही होगी जो नंबर गेम और नेता की व्यक्तिगत इच्छा पर टिकेगी।
क्या नीतीश कुमार वाकई राजनीति की गली से संसद के उपराष्ट्रपति हाउस तक का सफर तय करेंगे?
यह सवाल न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश की आगे की राजनीति तय करेगा।

आपकी क्या राय है? क्या नीतीश जी को उपराष्ट्रपति बनना चाहिए या बिहार में ही नेतृत्व करना सही रहेगा? अपनी राय नीचे कमेंट करें—आपके विचार पर अगला “जनता-रिएक्शन” आधारित हो सकता है!

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