मांझी टोला की प्यास: नल जल योजना बनी मज़ाक, बूंद-बूंद पानी को तरसे लोग
शेखपुरा, बिहार: सरकार की बहुप्रचारित नल जल योजना का सच शेखपुरा जिले के मांझी टोला गांव में बेनकाब होता दिख रहा है। यहां पाइपलाइन बिछा दी गई, नल भी लग गए, लेकिन आज तक एक बूंद पानी भी नलों से नहीं टपका।
गांव की महिलाएं अब भी सिर पर तसला लेकर 1 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं।
सिर्फ उद्घाटन में पानी, उसके बाद सिर्फ हवा
स्थानीय महिला रंजू देवी बताती हैं: “सिर्फ उद्घाटन के दिन पानी आया था, उसके बाद से नल में सिर्फ हवा आती है।”
लोगों का कहना है कि अधिकारी और नेतागण केवल फोटो खिंचवाने के लिए आए थे, उसके बाद कभी मुड़कर नहीं देखा।
पानी के लिए 1 किलोमीटर का सफर
गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित बजरंगबली स्थान से पानी लाना पड़ता है। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग घंटों लाइन में लगते हैं।
“हम गरीब हैं, पानी नहीं लाएंगे तो पियेंगे क्या? मर जाएंगे।” – एक महिला ग्रामीण
सरकारी योजना या छलावा?
जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों की लागत से बनाई गई यह योजना मांझी टोला में दम तोड़ती नजर आ रही है।
- पाइपलाइन है
- नल हैं
- पर पानी नहीं है
ग्रामीणों का आरोप है कि कार्य अधूरा है, लेकिन कागजों पर इसे पूरा दिखा दिया गया।
प्रशासन और जनप्रतिनिधि चुप
कई बार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
निष्कर्ष
मांझी टोला की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, ये उन हजारों जगहों की आवाज़ है, जहां सरकारी योजनाएं कागजों पर पूरी होती हैं, लेकिन हकीकत में गरीब जनता बूंद-बूंद पानी को तरसती है।
अगर अब भी आवाज़ नहीं उठी, तो ये योजना नहीं, जनता के भरोसे की हत्या बन जाएगी।
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