स्वदेशी अपनाओ – आत्मनिर्भर भारत का रास्ता, आपके हाथों से!
क्यों जरूरी है आज स्वदेशी और आत्मनिर्भरता?
2025 की ग्लोबल टेंशन (युद्ध, सप्लाई चेन, trade barriers) ने साबित कर दिया—जो देश अपने local skill, MSME, किसान और tech पर भरोसा करता है, वही असली “इकोनॉमिक सिक्योरिटी” पाता है।
भारत “तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था” बनने की ओर बढ़ रहा है, लेकिन ये सपना तब साकार होगा जब हर नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्मार्ट फॉर स्वदेशी’ सार्थक करेंगे।
ग्राउंड लेवल – लोकल हीरो की कहानी
- रीना देवी (वर्धा, महाराष्ट्र): “कोविड के बाद हमने बंदरगाह से विदेशी साड़ी लाना छोड़ा, अब गांव की बुनकर महिलाओं ने ‘Made in India’ ब्रांड खड़ा किया—रोज़गार भी, सम्मान भी।”
- रामकुमार (MSME, कांच बनाने वाले): “पहले सस्ते चाइनीज माल ने धंधा बंद करवा दिया था, अब पंचायत/ऑनलाइन पोर्टल से स्वदेशी कांच की सेल 3 गुना हुई।”
क्या भारत में ‘स्वदेशी’ और ‘मेक इन इंडिया’ एक जैसा है?
मापदंड | मेक इन इंडिया | स्वदेशी |
---|---|---|
उद्देश्य | भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना (इंडियन+विदेशी फर्में) | भारतीय उद्यम/कलाकार/किसान–भारत में बनाया उत्पाद (भारतिय Ownership/Value Chain) |
प्रभाव | नौकरी, विदेशी निवेश, टेक ट्रांसफर–वैश्विक जुड़ाव | स्थानीय रोजगार, कारीगरी, heritage, कृषि/हथकरघा की समृद्धि |
कंट्रोल | FDI/FII और मल्टीनेशनलों की अधिकता | Indian MSME/किसान/शिल्पकार की leadership |
चुनौतियां – क्या हर स्वदेशी प्रोडक्ट global तक पहुँच सकता है?
- कुछ सेक्टर (इलेक्ट्रॉनिक्स, पेन, खिलौने) में चीन-जैसी कीमत व क्वालिटी पाना मुश्किल
- बहुत से लोकल उद्यम माइक्रो स्तर पर चलते हैं, स्केल-अप और डिजिटाइजेशन की ज़रूरत
- कई बार महंगे-मगर टिकाऊ local प्रोडक्ट्स वाले कस्टमर-सर्विस/वारंटी पर पीछे
सरकार का उत्तर: PLI Scheme, ONDC (e-commerce नेटवर्क), GEM (सरकारी खरीद), और One District One Product model तेजी से रोलआउट हो रहा–MSME रजिस्ट्रेशन, GST में छूट, मोदी सरकार का खास फोकस।
रियल “स्वदेशी” कैसे चुनें? आपकी भूमिका और Practical Checklist
- प्रोडक्ट खरीदते समय पैकिंग पर “Made in India” और निर्माता का पता जरूर देखें
- मुख्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart, Local Market places) – filter में “देश” या “source” जरूर देख लें
- कंपनी वेबसाइट/प्रोडक्ट label पर FSSAI, BIS या MSME सर्टिफिकेट हो तो बेहतर
- गिफ्ट, ऑफिस सामान, स्टेशनरी, त्योहार–हर जगह भोजुपरी/स्थानीय कलाकार, SHG और कुटीर Goods को छांटें
- अपने सोशल वॉट्सऐप/सर्कल्स में Verified लोकल बिज़नेस/स्टार्टअप लिस्ट शेयर करें
FAQs – लोगों के अक्सर सवाल
- Q. क्या हर “मेड इन इंडिया” स्वदेशी है?
A. नहीं–अगर कंट्रोल, ownership और value chain तब भी विदेशी के पास है या सिर्फ אסेम्बलिंग इंडिया में है, तो वह ‘मिश्रित’ या ‘इंडियन सर्विसेज’ कहलाता है; असली स्वदेशी–local ownership + value addition हो। - Q. अगर कस्टमर-सेवा या warranty लोकल ज्यादा मजबूत न मिले तो?
A. अपने lokव्यापारी/छोटे ब्रांड को डिजिटल grievance portal, फेसबुक, या Govt MSME Consumer Helpline (1800-180-5525) पर टैग करें—सरकार हस्तक्षेप करती है। - Q. लोकल/स्वदेशी प्रोडक्ट्स कहां मिलते हैं?
A. ODOP पोर्टल, GEM, और कई स्थानीय मंडी/ई-मार्केटplace से; कुटीर उद्योगों की डायरेक्ट सेल साइट भी लोकप्रिय हो रही हैं।
निष्कर्ष – नया भारत, नया Buying Attitude
आत्मनिर्भर और स्वदेशी भारत—सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, हर पढ़े-लिखे, मेहनतकश, और उपभोक्ता की भागीदारी पर भी टिका है।
देशभक्ति, रोज़गार, और समाजवादी सोच–सबका मिलाजुला जवाब है: ‘पहले स्वदेशी, फिर बाकी!’
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क्या आपने भी हाल ही में कोई लोकल आईटम/सर्विस खरीदी? उसका अनुभव कैसा रहा–बताएं!
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