मनेर विधायक और पंचायत सचिव की वायरल कॉल: लोकतांत्रिक मर्यादा या शक्ति का दुरुपयोग?
बिहार, पटना: मनेर के राजद विधायक भाई वीरेंद्र और एक पंचायत सचिव के बीच कथित फोन कॉल चर्चा का विषय है। वायरल ऑडियो में विधायक का तीखा लहजा, धमकी और सचिव का आत्मविश्वास—ने राजनीति और प्रशासन दोनों में हलचल ला दी है।
क्या है वायरल कॉल का सच?
सोशल मीडिया पर आई क्लिप में सुनाई देता है—
- विधायक: “अगर पहचान नहीं रहा तो जूते से मारेंगे.”
- सचिव: “आप जनप्रतिनिधि हैं, पहले प्रेम से बात करना चाहिए.”
- विधायक: “तुम्हें नौकरी करने का अधिकार नहीं.”
- सचिव: “कोई डर नहीं है, जो करना है कीजिए.”
हालांकि कॉल की ऑडियो सत्यता की प्रशासनिक पुष्टि नहीं हुई है। विधायक का कोई आधिकारिक बयान भी अब तक नहीं आया।
घटना की पृष्ठभूमि: चर्चा का कारण क्या?
सूत्रों के अनुसार, मामला एक डेथ सर्टिफिकेट की प्रगति पूछने का था। पंचायत सचिव द्वारा तुरंत पहचान न पाने और जैसे ही प्रोटोकॉल न निभाने मिला, संवाद में तल्खी आ गई। यह बातचीत अब विधायक के व्यवहार और लोकतांत्रिक पद की गरिमा पर सवाल खड़े करती है।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
- कुछ लोगों ने विधायक के अंदाज की खुलेआम आलोचना की—“यही है VIP कल्चर का असली रूप?”
- दूसरी ओर, कई शहर/ग्रामीण पंचायत कर्मचारी बोले—“हमें अक्सर पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से इसी तरह दबाव झेलना पड़ता है।”
- कई नागरिकों ने खुल कर मुख्यमंत्री और प्रशासन से मांग की: “अगर दोष सिद्ध हो, तो सख्त कार्रवाई हो।”
कानून, व्यवहार और लोकतांत्रिक नीति क्या कहती है?
- सरकारी अधिकारी/कर्मचारी के साथ धमकी-भरी या अभद्र भाषा का इस्तेमाल Indian Penal Code और सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है।
- अगर कोई अफसर दबाव/अपमान महसूस करे, वह अपने वरिष्ठ, SDO/DM या पुलिस को केस दर्ज करवा सकता है (SC/ST एक्ट भी लागू हो सकता है)।
- जनप्रतिनिधियों की मर्यादा और लोकतांत्रिक संस्कृति की रक्षा—इन पर ही नागरिकों का विश्वास टिका है।
नेताओं और विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं—
“इस तरह के व्यवहार से लोकतंत्र कमजोर होता है। न जनप्रतिनिधि का अपमान ठीक, न अधिकारी का दमन। दोनों को मर्यादा और शिकायत निवारण के तय रास्ते अपनाने चाहिए।”