बिहार में बाढ़ 2025: जहानाबाद, सहरसा और मुंगेर में जलप्रलय का कहर
बिहार में हर साल बाढ़ तबाही मचाती है, लेकिन बिहार में बाढ़ 2025 इस बार और भी ज्यादा खतरनाक नजर आ रही है। जहानाबाद, सहरसा और मुंगेर जैसे जिले जल प्रलय से जूझ रहे हैं। गांवों में पानी घुस चुका है, लोग घर छोड़कर ऊंचे इलाकों में शरण लेने को मजबूर हैं। यह रिपोर्ट उसी भयावह स्थिति को दिखाती है।
जहानाबाद में दरधा नदी का प्रकोप
दरधा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है और यह शहर के अंदर तक पहुंच चुकी है। जाफरगंज, अंबेडकर नगर जैसे मोहल्लों में पानी भर चुका है। पुल टूटने की खबरें आ रही हैं, और प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।
सहरसा: कोसी नदी ने मचाया कहर
सहरसा जिले में कोसी नदी उफान पर है। गांव के गांव डूब चुके हैं। बिहार में बाढ़ 2025 का सबसे भयंकर असर यहां देखा जा रहा है। कई घर कट चुके हैं और लोग विस्थापित होकर ऊंची जगहों पर पहुंच रहे हैं।
मुंगेर: टूट गया डंगरी नदी पर डायवर्जन
मुंगेर जिले में डंगरी नदी का जलस्तर बढ़ने से संपर्क मार्ग टूट गया है। पुल निर्माण अधूरा था और पानी के बहाव में डायवर्जन बह गया। आवागमन पूरी तरह से बाधित हो चुका है।
स्थानीय लोगों की आपबीती
- “रात में पानी आया, घर में घुस गया” – जहानाबाद निवासी
- “40 से 50 घर कोसी में समा चुके हैं” – सहरसा
- “100 से ज्यादा लोग नदी पार में फंसे हैं” – मुंगेर
सरकारी प्रतिक्रिया और तैयारियाँ
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सरकार हर साल सिर्फ दिखावा करती है, लेकिन समय रहते कोई ठोस इंतजाम नहीं होता। बाढ़ के बाद राहत कार्य शुरू होते हैं, जो अक्सर देर से और अधूरे होते हैं।
आंतरिक लिंक
👉 पिछले साल की बाढ़ नीति 2024 पढ़े
🌐 राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की वेबसाइट
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बिहार में बाढ़ 2025 किन जिलों में सबसे ज्यादा असर हुआ है?
जहानाबाद, सहरसा और मुंगेर जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
सरकार ने राहत के लिए क्या कदम उठाए हैं?
अभी तक कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा, लोग खुद ही पलायन करने पर मजबूर हैं।
क्या बाढ़ से संपर्क मार्ग भी कट गया है?
हां, मुंगेर में डंगरी नदी पर बना डायवर्जन बह गया है जिससे संपर्क टूट गया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिहार में बाढ़ 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने सरकारी इंतजाम अक्सर नाकाफी साबित होते हैं। समय रहते राहत कार्य और बुनियादी ढांचे की मजबूती ही इसका समाधान हो सकता है।
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