बिहार चुनाव 2025: विदेशी वोट विवाद पर संसद में हंगामा, असलियत क्या है?
बिहार चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, संसद से लेकर सोशल मीडिया तक ‘विदेशी वोट’ के मुद्दे पर सियासी घमासान तेज़ हो गया है। संसद के भीतर बांग्लादेशी, नेपाली, म्यांमार के वोटर, बिहारी पलायन, और नीतीश-मोदी वार-पलटवार—हर बयान अब बहस का मुद्दा बन गया है। पर सवाल यह है—क्या इसमें सच्चाई है या सिर्फ राजनीति?
क्या सच में “विदेशी वोट” से चुनाव जीते गए?
संसद की हालिया बहस में विपक्ष ने गंभीर आरोप लगाया—”विदेशियों के वोट से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने।” इसी बहस में बिहार की वोटर लिस्ट, बांग्लादेशी-नेपाली वोटर और असली बिहारी का सवाल उठा।
क्या है सच्चाई? चुनाव आयोग ने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि आधिकारिक लिस्ट में किसी विदेशी घुसपैठिए वोटर का रिकॉर्ड नहीं मिला।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय—“ऐसे आरोप अक्सर चुनाव में मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन इन्हें तथ्यों से परखा जाना चाहिए।”
बहस का असली केंद्र—बिहारी पलायन और पहचान
राज्यसभा में आंकड़ा आया—3 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड, 1.5 करोड़ अनरजिस्टर्ड बिहारी बाहर काम करते हैं। यानी लगभग 4.5 करोड़ बिहारी प्रवासी हैं—पर ज्यादातर चुनाव के वक्त बिहार लौटते हैं और वोट डालते हैं।
बिहारी युवा अमन कुमार (मुंबई): “माता-पिता के साथ वोट डालना गर्व की बात है, लेकिन बार-बार सुनना कि ‘बिहार का असली वोट कटेगा’ बहुत चोट करता है।”
संसद की बहस—राजनीति या जनहित?
- व्यक्तिगत हमले: नेताओं ने एक-दूसरे के मंत्रिपद, परिवार और विकास कार्यों पर तीखे ताने कसे। कई बार बहस को सभापति को रोकना पड़ा।
- नीतीश कुमार पर फोकस: विपक्ष ने सीएम कार्यकाल, डेढ़-डेढ़ साल की मुख्यमंत्री अदला-बदली और अधूरे वादों को लेकर कटाक्ष किए। सत्ता पक्ष ने उनकी नीतियों के बचाव में आंकड़े गिनाए।
- बिहार की छवि विवाद में: बांग्लादेशी, नेपाली, म्यांमार जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बिहार की पहचान को लेकर जनभावनाएं आहत हुईं।
Reality Check: चुनाव के असली मुद्दे क्या हैं?
- रोजगार: करोड़ों युवाओं का पलायन असली चिंता—क्या कभी घर वापसी के हालात बनेंगे?
- शिक्षा, स्वास्थ्य, बाढ़: संसद की बहस में खो गए!
- जनहित बनाम Power Play: बार-बार व्यक्तिगत आरोप, लेकिन आम जनता की समस्याएं पर क्या हल हो रहा?